बर्फ़ अगरचे पिघल रही होगी
बात कर पर ही टल रहेगी
आज हम इतना मुस्कुराये हैं
बेकली हाथ मल रही होगी
Ghazals of Navin C. Chaturvedi
बर्फ़ अगरचे पिघल रही होगी
बात कर पर ही टल रहेगी
आज हम इतना मुस्कुराये हैं
बेकली हाथ मल रही होगी
कहा था जिसको सहेली, उसी ने काट दिया
तुम्हारा नाम तुम्हारी सखी ने काट दिया
कहो तो लेप लगा दूँ तनिक वहाँ भी मैं
कटिप्प्रदेश जहाँ करधनी ने काट दिया
बिछाकर रासतों में ख़ार तुमने
दुखाया दिल मेरा क्यों यार तुमने
ख़याल अब कौन रक्खेगा तुम्हारा
मुझे भी कर दिया बीमार तुमने
न जाने रीत किसने प्रीत की ऐसी बनाई है
ये ऐसा रोग है जिसमें मसीहा ही दवाई है
भला ऐसे मरज़ में तंदुरुस्ती कौन चाहेगा
मुहब्बत में तो बस बीमार रहने में भलाई है
तुमको पल-पल सता नहीं सकता
सच बता कर रुला नहीं सकता
सच यही है कि इश्क़ है तुमसे
मैं बहाने बना नहीं सकता